आज से सात हजार वर्ष पहले भी समाज एवं मनुष्य धर्म और जात-पात से त्रस्त था। यह वो समय था जब उत्तर के वैष्णव और दक्षिण के शैव एक दूसरे का विनाश कर समाज में अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान बनाना चाहते थे।। यह वो समय था जब हमारे साधु-संत ही वैज्ञानिक, चिकित्सक, शोधकत्र्ता और आविष्कारक हुआ करते थे।
उस समय, एक ऐसी घटना घटी, जिसने संपूर्ण समाज और संसार को आपस में एक सूत्र में बांधने का काम किया। उस घटना के नायक थे श्रीराम, और अति महत्वपूर्ण सह-नायक थे लक्ष्मण।
लक्ष्मण के एक महान परमवीर योद्धा और भ्रातृ-निष्ठ मनुष्य होने के विषय में तो आप जानते ही हैं। इसके अतिरिक्त, आप उनके प्रख्यात क्रोध से भी भली भांति परिचित हैं। परन्तु क्या आपको उस महानुभाव के मन की कोमलता का ज्ञान है? समाज और संसार ने उनके क्रोधित स्वरूप को ही जाना है, परन्तु उस क्रोध के साथ चल रहे विषादपूर्ण आत्मा को किसी ने नहीं देखा। उनके मन की पीड़ा और वेदना कभी किसी ने नहीं पढ़ी। उसके अंतर्मन का भय कभी किसी ने नहीं आँका।
लक्ष्मण ने अपने जीवनकाल में 5 अपराध किये और यदि उनसे वे 5 अपराध न होते, तो कदाचित् रामायण इतनी महान कथा न होती और राम इतने महान नायक न बने होते।
यह कथा एक सेवा-भावी भ्राता, एक साधारण पुत्र, एक परमवीर योद्धा, एक सह-नायक और एक गुणहीन पति की कथा है। यह कथा है- राम के अनुज, लक्ष्मण की।
Lakshman
आज से सात हजार वर्ष पहले भी समाज एवं मनुष्य धर्म और जात-पात से त्रस्त था। यह वो समय था जब उत्तर के वैष्णव और दक्षिण के शैव एक दूसरे का विनाश कर समाज में अपना सर्वश्रेष्ठ स्थान बनाना चाहते थे।। यह वो समय था जब हमारे साधु-संत ही वैज्ञानिक, चिकित्सक, शोधकत्र्ता और आविष्कारक हुआ करते थे।
उस समय, एक ऐसी घटना घटी, जिसने संपूर्ण समाज और संसार को आपस में एक सूत्र में बांधने का काम किया। उस घटना के नायक थे श्रीराम, और अति महत्वपूर्ण सह-नायक थे लक्ष्मण।
लक्ष्मण के एक महान परमवीर योद्धा और भ्रातृ-निष्ठ मनुष्य होने के विषय में तो आप जानते ही हैं। इसके अतिरिक्त, आप उनके प्रख्यात क्रोध से भी भली भांति परिचित हैं। परन्तु क्या आपको उस महानुभाव के मन की कोमलता का ज्ञान है? समाज और संसार ने उनके क्रोधित स्वरूप को ही जाना है, परन्तु उस क्रोध के साथ चल रहे विषादपूर्ण आत्मा को किसी ने नहीं देखा। उनके मन की पीड़ा और वेदना कभी किसी ने नहीं पढ़ी। उसके अंतर्मन का भय कभी किसी ने नहीं आँका।
लक्ष्मण ने अपने जीवनकाल में 5 अपराध किये और यदि उनसे वे 5 अपराध न होते, तो कदाचित् रामायण इतनी महान कथा न होती और राम इतने महान नायक न बने होते।
यह कथा एक सेवा-भावी भ्राता, एक साधारण पुत्र, एक परमवीर योद्धा, एक सह-नायक और एक गुणहीन पति की कथा है। यह कथा है- राम के अनुज, लक्ष्मण की।
Published Year | 2021 |
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Page Count | 350 |
ISBN | 978-9390909896 |
Language | Hindi |
Author |
Kapil Sanghavi |
Publisher |
Kalamos Literary Services |