पानी की दुनिया’ असल में एक ऐसे आसामान्य दौर की कहानी है, जिसकी सहज कल्पना भी नहीं की जा सकती, जिसे इनसान की जरूरतों से बढकर उसकी कभी न ख़तम होने वाली लालसाओं ने जनम दिया है, जो आपको सोचने पर मजबूर करती है और बताने की कोशिश करती है कि कुछ भूलें ऐसी होती हैं, जो कभी-कभी उन पर विचार करने, या यों कहें कि सुधार का एक मौका भी नहीं देतीं…
‘वे लौट आए!’
‘कौन?’ उसने हैरानी से पूछा।
‘इनसान! मां इनसान!’