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Sale! मैं और ये ज़िन्दगी By Sandeep Dahiya

मैं और ये ज़िन्दगी

“हम जब भी तेरे शहर में लौट आते हैं तेरी निशानी उन गलियारों में ढूंढते हैं हमारा कारोबार खोई मोहब्बत को पाने का है हम रोज़ अपनी अनारकली दीवारों में ढूंढते हैं ” “मैं और ये ज़िन्दगी” महज़ एक किताब नहीं बल्कि मेरी ज़िन्दगी का आईना है इसमें जो शायरी है वो ज़िन्दगी के मुख़्तलिफ़ एहसासों को बयां करती है इनमे हंसी भी है और ग़म भी, इसमें रफ़्तार भी है और कईं ठहराव भी, संजीदगी भी है और जीवन की कईं कड़वी सच्चाइयां भी और भी रंग हैं ज़िन्दगी के, इस किताब में आप सबने ये एहसास ज़िन्दगी के सफ़र में जरूर कभी ना कभी महसूस किये होंगे उम्मीद है ये किताब आपको अपनी ज़िन्दगी का आईना लगे और आप इसको उतने ही प्यार से नवाज़ें जितने प्यार से मैनें इसे लिखा और आप तक पहुंचाया है|

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Sale! स्याही के अक्षर By Aneer

स्याही के अक्षर

ये किताब महज़ एक किताब नहीं है, मैंने अपनी, आपकी, हम सभी की ज़िन्दगी से कुछ पल, कुछ क्षण चुन कर या यूँ कहें चुराकर, स्याही और अक्षरों को एक ज़रिया बना वहीं थामने की एक कोशिश की है। अगर कहीं कोई भूल हुई हो तो मैं क्षमा प्रार्थी हूँ, नादान समझ कर माफ़ कर दीजियेगा, शुक्रिया। लेखक का परिचय- २ अक्टूबर १९९६ को दिल्ली में जन्मे नीरज झा को बचपन में लोग “गाँधी” नाम से पुकारा करते थे। बचपन से ही पढ़ाई और खेल-कूद दोनों विभागों में उनकी बराबर की रूचि रही है। अभी वे भारतीय नौवाहन निगम में एक कैडेट हैं, और इस किताब का ज़्यादातर हिस्सा उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के दौरान ही लिखा है। कविताएँ लिखना उन्होंने बारहवीं कक्षा के बाद शुरू किया, और “स्याही के अक्षर” उनकी पहली किताब है। वे अपनी कविताएँ “अनीर” नाम से लिखते हैं, जो कि उनका कृतकनाम है। आप उनसे इन्सटाग्राम (instagram) पर जुड़ सकते हैं: @syaahi_ke_akshar

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