Biography

Kapil Sanghavi
बचपन में, कपिल के दादाजी ने उनका परिचय रामायण की महा-कथा से करवाया। तभी से, वह उसकी कथाओं और महान चरित्रों से मोहित हो चुके थे। कपिल को अंतर्मन की शक्ति पर पूर्ण विश्वास है। इस कारण वह कई बार अपने विचारों का मंथन करने के लिए अपने अंतर्मन में स्वयं से बातें करते हुए दिखाई देते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से उनका मन हल्का और हृदय संतुष्ट रहता है। लेकिन, फिर भी कपिल अब तक अपने क्रोध और आवेश को नियंत्रण में नहीं ला पाये हैं।
वयस्क आयु से ही कपिल को अपनी कलम से प्रेम हो चुका था। कविताओं और कुछ लघु कथाएँ लिखने के बाद, उनके मन में इस पुस्तक को लिखने का विचार उत्पन्न हुआ। ‘लक्ष्मण गाथा’ कपिल की पहली पुस्तक है।
कपिल एक पेशेवर ‘इवेंट प्रोड्यूशर’ हैं, और उन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय कायक्रमों का निर्माण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। लेखन के अतिरिक्त, संगीत एवं नृत्य में भी उनकी गहरी रूचि है।