बेकार, या गैरज़रूरी मान ली गईं चीज़ें इस कहानी के मुख्य किरदार हैं, लेकिन यह कहानी यहीं नहीं रुकती दस दिन की यह कहानी जीना-मरना, यारी-दोस्ती और आख़िरी ख़्वाहिश सब कुछ सिखा जाती है। रागा बंधुओं का यह छठा उपन्यास है। वे अपनी उम्र के तीसरे दशक में हैं। अदनी-सी उम्र में वे अपनी रचनाओं में जिस तरह के कथानक उकेरते हैं,वह उन्हें जल्द ही भीड़ से अलग खड़ा कर देगा। “नई पीढ़ी के फंतासी लेखकों में रागा बंधुओं का कोई सानी नहीं।” -दीपक दुआ (प्रख्यात फ़िल्म समीक्षक) “शब्दों से कल्पना की जादूगरी में रागा बंधु माहिर हैं।” -दैनिक भास्कर “रागा ब्रदर्स की क़लम की दीवानी हुई दुनिया।” -डेली न्यूज़
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बेकार, या गैरज़रूरी मान ली गईं चीज़ें इस कहानी के मुख्य किरदार हैं, लेकिन यह कहानी यहीं नहीं रुकती दस दिन की यह कहानी जीना-मरना, यारी-दोस्ती और आख़िरी ख़्वाहिश सब कुछ सिखा जाती है। रागा बंधुओं का यह छठा उपन्यास है। वे अपनी उम्र के तीसरे दशक में हैं। अदनी-सी उम्र में वे अपनी रचनाओं में जिस तरह के कथानक उकेरते हैं,वह उन्हें जल्द ही भीड़ से अलग खड़ा कर देगा। “नई पीढ़ी के फंतासी लेखकों में रागा बंधुओं का कोई सानी नहीं।” -दीपक दुआ (प्रख्यात फ़िल्म समीक्षक) “शब्दों से कल्पना की जादूगरी में रागा बंधु माहिर हैं।” -दैनिक भास्कर “रागा ब्रदर्स की क़लम की दीवानी हुई दुनिया।” -डेली न्यूज़
| Published Year | 2021 |
|---|---|
| Page Count | 86 |
| ISBN | 978-9387780804 |
| Language | Hindi |
| Author |
Rijhjham Raga, Roin Raga |
| Publisher |
Kalamos Literary Services |









